Comments (2)
30 Mar 2020 07:48 PM
गर हम वक्त के हमराह न चलने पाए।
वक्त हमको ठुकरा कर आगे निकल जाएगा।
पल दो पल की दूरियां जरूरी हैंं सलामती के लिए ।
वरना पूरी ज़िंदगी पड़ी है नज़दीकियां बढ़ाने के लिए ।
श़ुक्रिया !
गर हम वक्त के हमराह न चलने पाए।
वक्त हमको ठुकरा कर आगे निकल जाएगा।
पल दो पल की दूरियां जरूरी हैंं सलामती के लिए ।
वरना पूरी ज़िंदगी पड़ी है नज़दीकियां बढ़ाने के लिए ।
श़ुक्रिया !
Sundar Panktiyaa’n…. Nice Ghazal….!
1222+1222+122 Waah! Waah!!