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Sundar Panktiyaa’n…. Nice Ghazal….!
1222+1222+122 Waah! Waah!!

गर हम वक्त के हमराह न चलने पाए।
वक्त हमको ठुकरा कर आगे निकल जाएगा।
पल दो पल की दूरियां जरूरी हैंं सलामती के लिए ।
वरना पूरी ज़िंदगी पड़ी है नज़दीकियां बढ़ाने के लिए ।

श़ुक्रिया !

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