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Comments (4)

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बेहतऱीन पेश़कश़ ।

श़ुक्रिया !

अपनी ज़मी को तो न संवार पाये हम
चांद तारों को छूने की ख़्वाहिश रखते हैं ।
बहुत बढ़िया ।

बहुत बहुत शुक्रिया

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