Comments (4)
20 Mar 2020 06:39 PM
सुंदर संदेश पूर्ण प्रस्तुति।
धन्यवाद !
आर.एस. 'प्रीतम'
Author
21 Mar 2020 08:11 AM
बहुत-बहुत आभार आपका आदरणीय??
वाह! आदरणीय। बहुत ही प्रेरणादायिनी सुन्दर सृजन। वास्तविकता की ओर सुन्दर संकेत वास्तव में जो मानव पाश्चात्य संस्कृति में रच-बस गया था, उसने अब भारतीय संस्कृति को अपनाना स्वीकार किया है। मेरा मानना है कि हमारे श्रेष्ठतम पूज्यनीय पूर्वजों ने बहुत हीसोच- समझकर इन सारे विधि-विधानों, संस्कारों को निर्मित किया था। इन संस्कारों का तिरस्कार ही हमें आज की वस्तुस्थिति की ओर मोड़ गया है।
आभार बंधु!