Comments (4)
19 Mar 2020 01:02 PM
कविता का अर्थ समझने का प्रयास कर रहा हूँ। बहकी हवा उन दरख्तों को नहीं गिरा सकती जिनके रिश्ते जड़ों से बहुत गहरे हैं। यह प्रतीत हो रहा है कि अपने रिश्तों के बीच किसी के आने से सशन्कित हैं
“जिनकी आंखों में हो
समंदर से सैलाब,
सामने उनके भला कहाँ
बरसाती उफान ठहरे हैं ।।”
उपरोक्त पक्तियां बहुत सुन्दर है और अपने प्रेम को समुंदर से सैलाब तथा अनचाहे व्यक्ति के प्रेम को बरसाती उफान कहा है जो कि क्षणिक होता है ।
अन्त मे ईश्वर का भी डर दिखा कर अपनी संतुष्टि की है।
हमेशा की तरह गहन भावनाओं को शब्दों के द्वारा प्रदर्शित किया है जो प्रत्यक्ष में प्रकट करना कई बार सम्भव नहीं होता।
बहुत खूब लाजवाब ।ऐसे ही काव्य प्रतिभा का प्रदर्शन करते रहे
Seema katoch
Author
20 Mar 2020 10:45 AM
Thankyou so much
बहुत सुन्दर रचना, सीमा जी ? कृप्या मेरी रचना “कोरोना बनाम क्यों रोना” का भी अवलोकन करके अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें ?
Sorry I am late