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बहुत बहुत सुंदर पुनीतजी। मेरी रचना ईश्वर भी पढ़ें ।?

यादों में बसे मीठे लम्ह़ों के सहारे ज़िंंदगी जी लेता हूं।
इस गमज़दा ज़िंदगी के चंद पलों को खुश़ग़वार बना लेता हूं ।

श़ुक्रिया !

15 Mar 2020 09:27 PM

सुंदर पंक्ति,
आपका सहृदय आभार

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