Comments (5)
15 Mar 2020 04:44 PM
gjb
Mugdha shiddharth
Author
15 Mar 2020 08:49 PM
शुक्रिया
दिल में एक लहर सी उठी है अभी।
कोई ताजा हवा चली है अभी।
वक़्त के बेनिशान जज़ीरों से कोई आवाज आ रही है अभी।
श़ुक्रिया !
दिल ने एक पुकार सुनी है अभी – अभी
क्या तुझ तक भी पहुंची है रुकी – रुकी
सुनना मत इस को दिल की कानों से
दर्द देगा ये सर्द रातों में कभी – कभी
~ सिद्धार्थ
सुभानअल्लाह !