Comments (6)
19 Mar 2020 04:45 PM
अद्वितीय रचना
नारी मन के अंतर्द्वंद ,इच्छा और कर्तव्य के बीच संघर्ष और फिर उन्ही कोमल भावों से अपने संसार को संवारने में जुट जाना जो उसने बड़े अरमान से बनाया है।
इस कविता को पढ़ कर मुझे पुरुष होने के नाते अपराध बोध ही रहा है,जो इस कविता की सफलता का प्रतीक है
सादर अभिनंदन।
Seema katoch
Author
20 Mar 2020 10:52 AM
हर कविता को ध्यान से पढ़ना और प्रतिक्रिया देना ,किसी लिखने वाले को और क्या चाहिए,,,,, धन्यवाद
12 Mar 2020 07:40 AM
सुंदर भावनात्मक प्रस्तुति।
धन्यवाद !
Seema katoch
Author
12 Mar 2020 05:36 PM
Ji धन्यवाद
Very Nice Poem
Thanks ji