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साहसिक और सुन्दर रचना।
जीवन मे व्यक्ति की स्वीकारोक्ति कि समाज के चलन के अनुसार हाथी के दांत की तरह दिखावटी व्यवहार करना पड़ता है, संस्कार और संसार के बीच एक निरंतर द्वंद है।
जीवन की इस ऊहापूह मे संसार के समस्त व्यक्ति उलझे हुऐ है,यहाँ तक कि महाभारत का अर्जुन भी जिसके संशय कृष्ण ने दूर किये थे।
अन्तर्मन के भावो को समझ कर समाज को दर्पण दिखाने का अद्भूत प्रयाससादर अभिवादन।
बहुत बहुत धन्यवाद जी
साहसिक और सुन्दर रचना।
जीवन मे व्यक्ति की स्वीकारोक्ति कि समाज के चलन के अनुसार हाथी के दांत की तरह दिखावटी व्यवहार करना पड़ता है, संस्कार और संसार के बीच एक निरंतर द्वंद है।
जीवन की इस ऊहापूह मे संसार के समस्त व्यक्ति उलझे हुऐ है,यहाँ तक कि महाभारत का अर्जुन भी जिसके संशय कृष्ण ने दूर किये थे।
अन्तर्मन के भावो को समझ कर समाज को दर्पण दिखाने का अद्भूत प्रयाससादर अभिवादन।
बहुत बहुत धन्यवाद जी