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हे पथिक ! जरा ध्यान से सुन , ज्ञान नहीं तो अभिमान कैसा ?
फुल नहीं तो बागवान कैसा ? कर्म नहीं तो धर्म कैसा ?
गलत से टकराएं नहीं तो , सही का ज्ञान कैसा ?
दुःख नहीं देखा तो , सुख का भाव कैसा ?
प्रेम नहीं दिया तो , नफ़रत का नाम कैसा ?
इमान ना हो तो इंसान कैसा ? जान नहीं तो जहान कैसा ?
भूख नहीं तो सम्मान कैसा ? ज्योति कहे ये लगे बिल्कुल अपमान जैसा ।
? धन्यवाद ?
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हे पथिक ! जरा ध्यान से सुन ,
ज्ञान नहीं तो अभिमान कैसा ?
फुल नहीं तो बागवान कैसा ?
कर्म नहीं तो धर्म कैसा ?
गलत से टकराएं नहीं तो ,
सही का ज्ञान कैसा ?
दुःख नहीं देखा तो ,
सुख का भाव कैसा ?
प्रेम नहीं दिया तो ,
नफ़रत का नाम कैसा ?
इमान ना हो तो इंसान कैसा ?
जान नहीं तो जहान कैसा ?
भूख नहीं तो सम्मान कैसा ?
ज्योति कहे ये लगे बिल्कुल अपमान जैसा ।
? धन्यवाद ?