Comments (6)
6 Mar 2020 05:38 PM
सच,उसूल,ईमान,ममता,कलम और प्यार
सब के सब नक़ली बेच रहे सजे धजे बाज़ार
यह तो वह शै है जो असली मिलती नहीं
मिल जाये तो किसी भी मोल बिकती नहीं
Seema katoch
Author
6 Mar 2020 08:48 PM
Very nice
5 Mar 2020 11:37 PM
अद्वितीय व्यंगात्मक प्रस्तुति ।
साधुवाद !
Seema katoch
Author
6 Mar 2020 10:28 AM
धन्यवाद
Nice poem
Thanks ji