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Comments (6)

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13 Mar 2020 04:51 PM

Nice poem

13 Mar 2020 06:56 PM

Thanks ji

6 Mar 2020 05:38 PM

सच,उसूल,ईमान,ममता,कलम और प्यार
सब के सब नक़ली बेच रहे सजे धजे बाज़ार
यह तो वह शै है जो असली मिलती नहीं
मिल जाये तो किसी भी मोल बिकती नहीं

6 Mar 2020 08:48 PM

Very nice

अद्वितीय व्यंगात्मक प्रस्तुति ।

साधुवाद !

6 Mar 2020 10:28 AM

धन्यवाद

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