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जिंदगी में बहुत फरेब खाएं हैं। अब तक ना होश में आएं हैं । न जाने कब खत्म होगा ये ग़मों का सिलसिला। और कब मिलेगा मुझे सुकून और जिंदगी का सिला।
श़ुक्रिया !
रचना पसंद करने हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद महोदय ।
जिंदगी में बहुत फरेब खाएं हैं।
अब तक ना होश में आएं हैं ।
न जाने कब खत्म होगा ये ग़मों का सिलसिला।
और कब मिलेगा मुझे सुकून और जिंदगी का सिला।
श़ुक्रिया !
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