Comments (6)
26 Feb 2020 05:48 AM
वाह वाह क्या खूब कहा……! बहुत सुंदर रचना…..!
अरशद रसूल बदायूंनी
Author
26 Feb 2020 10:52 AM
Thanks
26 Feb 2020 12:04 AM
बहुत खूब
अरशद रसूल बदायूंनी
Author
26 Feb 2020 12:20 AM
Thanks
जिन्होने अपने हाथों से बनाई हैं ये महलनुमा कोठियां।
उन्ही मजदूरों कोआज मय़स्सर भी नही रहने के लिए झोंपड़ियाँ ।
श़ुक्रिया !
सही कहा