Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (1)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

जमाने की हवा कुछ इस क़दर है ए दोस्त।
कल तक जो था ख़िदमतग़ार आज अपने को हाक़िम समझता है।
श़ुक्रिया !

Loading...