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कुछ तो तासीर है हमारी शख्सियत में। खुद ब खुद आकर सांप लिपट जाते हैं हमारी आस्तीन से।
श़ुक्रिया !
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कुछ तो तासीर है हमारी शख्सियत में।
खुद ब खुद आकर सांप लिपट जाते हैं हमारी आस्तीन से।
श़ुक्रिया !
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