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अपनी ज़िंदगी की खुशियां लोगों में बांटकर । उनके उनके माय़ूस चेहरों में हंसी लौटाकर । उनकी ज़िंदगी मे छाए ग़म के अंधेरों में रोशनी लौटाना चाहता हूं नफ़रतों को खत्म कर उनमें दोस्ती का जज्ब़ा जगाना चाहता हूं । श़ुक्रिया !
अपनी ज़िंदगी की खुशियां लोगों में बांटकर ।
उनके उनके माय़ूस चेहरों में हंसी लौटाकर ।
उनकी ज़िंदगी मे छाए ग़म के अंधेरों में रोशनी लौटाना चाहता हूं
नफ़रतों को खत्म कर उनमें दोस्ती का जज्ब़ा जगाना चाहता हूं ।
श़ुक्रिया !