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19 Jul 2024 07:35 PM

दुःख है, बच्चों पर नहीं , जो उन्हें बिगाड़ रहे उन पर ,,, मैं आपके अति उत्तम विचारों से सहमत हूं ,, और मैं यही बात करती हूं ,,क्यों अकेले रहने लगे हैं लोग ,,, मृत्यु के लिए भी चार कंधों की जरूरत होती है , मगर अब कंधों की चाहत ,, गाड़ी में डालकर पहुंचा दिया जाता है । बच्चों के माता पिता को समझना होगा ,,

पीढ़ीयां जब बदलती है तो संस्कारों का हास होता ही है साथ ही साथ नैतिक शिक्षा को हमे और प्रोत्साहन देना होगा।

18 Aug 2022 07:42 PM

मैं आपके विचारों से पूर्णतया सहमत हूं। विद्यार्थी जीवन में माता-पिता और अध्यापक का अहम रोल होता है। विद्यार्थी को एक त्रिभुज के सबसे ऊपरी भाग में रखा जाता है तथा माता पिता को बाईं ओर और शिक्षक को दाईं ओर रखा जाता है। कहा जाता है कि एक बच्चे की पहली गुरु मां होती है। जो अपने बच्चे को संस्कार देती है। इसके बाद इस बीज का अंकुरण स्कूल में शिक्षक के द्वारा होता है। शिक्षक मित्रता के भाव से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ नई चीज भी सीखाते है।
इसलिए एक सफल विद्यार्थी के पीछे उसकी खुद की मेहनत तो होती ही है साथ ही साथ उसके माता-पिता और शिक्षक का योगदान भी समान भाव से होता है।अध्यापक ही अपने आप मे एक बहुत बड़ा शब्द है। हमे सही रास्ता दिखाने वाली / वाला कोई ओर है वो है अध्यापक । जो बिना स्वार्थ के हमे शिक्षा देते है, जो हमारा कभी बुरा नहीं सोचते । अध्यापक की भूमिका दुनिया मे कोई नहीं ले सकता ।

20 Jul 2022 09:17 AM

आपका कहना बिल्कुल सही है। अति उत्तम रचना।

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