आपके कथन से सहमत हूं प्रारंभिक अवस्था में सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से सरकारी नौकरी का समाज में एक उच्च स्थान है। जिसे हर मध्यम वर्गीय व्यक्ति प्राप्त कर अपना भविष्य और अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा का आधार स्थापित कर लेना चाहता है । दरअसल हमने शिक्षित होकर अच्छी से अच्छी नौकरी पाना जीवन का उद्देश्य बना लिया है । जिसे नकारा नहीं जा सकता है। हमें से कुछ विरले ही होते हैं जो नौकरी के बजाएं व्यवसाय की जोखिम उठाना पसंद करते हैं। क्योंकि इसमें काफी संघर्ष झेलना पड़ता है । और व्यवसाय के लिए मजबूत आर्थिक स्थिति की भी आवश्यकता होती है । व्यवसाय में जोखिम उठाने की मनोवृत्ति एवं पर्याप्त साहस की आवश्यकता होती है । जिसका नौकरी पेशा परिवारों में पले बढ़े व्यक्तियों में अभाव होता है ।क्योंकि शुरू से उनको नौकरी प्राप्त करने की शिक्षा व सलाह दी जाती है। यदि नौकरी पेशा परिवार का कोई व्यक्ति व्यवसाय करना चाहता है तो उसे निरुत्साहित किया जाता है। अतः इस प्रतिभा के होने पर उसके विकास के अवसर और पर्याप्त समर्थन एवं प्रोत्साहन नही मिल पाता। ऐसी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति को अपनी प्रतिभा का उपयोग न कर पाने एवं अधिनस्थ कार्य प्रणाली एवंं स्थिती के कारण आर्थिक रूप से सुरक्षित नौकरी मे भी छटपटाहट एवं घुटन महस़ूस होती है। और उसे अपना अस्तित्व निरर्थक लगने लगता है ।मेरे विचार से आपने अपने लेख में इसी मनोदशा को प्रकट करने का प्रयास किया है।
आपने अपने लेख के माध्यम से एक नवीन सोच को जागृत करने का प्रयास किया है जो अत्यंत सराहनीय है।
धन्यवाद !
आपके कथन से सहमत हूं प्रारंभिक अवस्था में सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से सरकारी नौकरी का समाज में एक उच्च स्थान है। जिसे हर मध्यम वर्गीय व्यक्ति प्राप्त कर अपना भविष्य और अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा का आधार स्थापित कर लेना चाहता है । दरअसल हमने शिक्षित होकर अच्छी से अच्छी नौकरी पाना जीवन का उद्देश्य बना लिया है । जिसे नकारा नहीं जा सकता है। हमें से कुछ विरले ही होते हैं जो नौकरी के बजाएं व्यवसाय की जोखिम उठाना पसंद करते हैं। क्योंकि इसमें काफी संघर्ष झेलना पड़ता है । और व्यवसाय के लिए मजबूत आर्थिक स्थिति की भी आवश्यकता होती है । व्यवसाय में जोखिम उठाने की मनोवृत्ति एवं पर्याप्त साहस की आवश्यकता होती है । जिसका नौकरी पेशा परिवारों में पले बढ़े व्यक्तियों में अभाव होता है ।क्योंकि शुरू से उनको नौकरी प्राप्त करने की शिक्षा व सलाह दी जाती है। यदि नौकरी पेशा परिवार का कोई व्यक्ति व्यवसाय करना चाहता है तो उसे निरुत्साहित किया जाता है। अतः इस प्रतिभा के होने पर उसके विकास के अवसर और पर्याप्त समर्थन एवं प्रोत्साहन नही मिल पाता। ऐसी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति को अपनी प्रतिभा का उपयोग न कर पाने एवं अधिनस्थ कार्य प्रणाली एवंं स्थिती के कारण आर्थिक रूप से सुरक्षित नौकरी मे भी छटपटाहट एवं घुटन महस़ूस होती है। और उसे अपना अस्तित्व निरर्थक लगने लगता है ।मेरे विचार से आपने अपने लेख में इसी मनोदशा को प्रकट करने का प्रयास किया है।
आपने अपने लेख के माध्यम से एक नवीन सोच को जागृत करने का प्रयास किया है जो अत्यंत सराहनीय है।
धन्यवाद !
आपकी टिप्पणी ने इसे और भी सार्थक कर दिया है सर। बहुत बहुत धन्यवाद सर..