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आँँखों में प्यार का इजहार लिए क्यों होठों पर चुप सी लगी है। कब से ब़ेताब हूं तुमसे कुछ सुनने को जब से तेरी च़ाहत दिल से लगी है। श़ुक्रिया !
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आँँखों में प्यार का इजहार लिए क्यों होठों पर चुप सी लगी है।
कब से ब़ेताब हूं तुमसे कुछ सुनने को जब से तेरी च़ाहत दिल से लगी है।
श़ुक्रिया !
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