Comments (4)
10 Jan 2020 01:29 PM
तुम तो मेरे दिलो जिग़र में यहां तक कि ऱूह में भी पाब़स्ता हो।
कैसे दूर करूं तुम्हें मुझसे तुम तो मेरी जिंदगी का अहम् हिस्सा हो।
श़ुक्रिया !
Seema katoch
Author
11 Jan 2020 01:37 PM
Wah… thanks
बहुत सुन्दर
गुथी हुई है हर पंक्ति में
भंगिमा तेरे अंग अंग की,
तेरे कदमों की आहट है
धडकन मेरी हर कविता की
Wah ,,,thankyou