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बदग़ुम़ा था अब तक शायद अपने आप और इस जहाँ से। पायी जो ठोकर तब इल्म़ हुआ हम कहाँ थे। श़ुक्रिया !
वाह वाह
बदग़ुम़ा था अब तक शायद अपने आप और इस जहाँ से। पायी जो ठोकर तब इल्म़ हुआ हम कहाँ थे।
श़ुक्रिया !
वाह वाह