दो जिस्म एक जान है जो पति पत्नी का रिश्ता है वो। व्यर्थ नहीं कहते पत्नी को अर्धांगिनी यथार्थ की परिभाषा है जो । पत्नी कभी पूर्ण नहीं कहलाती है बिन पति के ।और पति का अस्तित्व भी पूर्ण नहीं होता बिन पत्नी के । एक दूसरे के परिपूरक होते हैं वो।
धन्यवाद !
दो जिस्म एक जान है जो पति पत्नी का रिश्ता है वो। व्यर्थ नहीं कहते पत्नी को अर्धांगिनी यथार्थ की परिभाषा है जो । पत्नी कभी पूर्ण नहीं कहलाती है बिन पति के ।और पति का अस्तित्व भी पूर्ण नहीं होता बिन पत्नी के । एक दूसरे के परिपूरक होते हैं वो।
धन्यवाद !
जी बिलकुल सही कहा आपने ..धन्यवाद्