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याद आए तेरे पैक़र के वो ख़ुतूत ।
तेरी कोत़ाहि ए फ़न याद आई ।
दिन श़ुआ़ओं मे उलझते गुज़रा।
रात आई तो किरन याद आई।
चाँद जब दूर उफ़क मे डूबा तेरे गेस़ू की थक़न याद आई।
श़ुक्रिया !

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