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1 Jan 2021 08:32 PM

नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाएं
मेरी रचना कोरोना का अवलोकन कर वोट करे?

3 Jan 2021 11:55 AM

आपका बहुत बहुत आभार !!

3 Jan 2021 11:56 AM

आपको भी नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाएं !

10 Mar 2020 07:41 PM

थोडा तो क्या !
सारा विरोधाभासी लेख है.
जिसमें लेखिका भटकी हुई
इधर से उधर दौड़ रही है.
.
खुद को पाने वा खोजने के दो मार्ग है.
जिसके उद्भव अनेक हैं.
.
एक अंतस बाहर की ओर.
एक बाहर से अंतस की और.
.
यानि आक्रामक/समर्पित.
एक नाथ/दूजा दास.
दास प्रेम का आविर्भाव है/मूल उद्गम.
.
किसी ने कोई अवतार नहीं लिया.
यह तथाकथित धर्मों की परिकल्पना मात्र हैं.
.
कृष्ण/राम/रहीम/मुहम्मद/मसीह सबने अपना जीवन जीवंत किया.
बस फिर लॉबिंग/कुछ चालाक लोग इक्ठ्ठा होकर जीवन से दूर ले जाकर भेद को जन्म देकर जीवन के दुश्मन हो गये.
यहीं विध्वंसक धारणा की मानसिकता.
और प्रश्न लालसा पर ..आप कैसे सोचती हैं ?

29 May 2020 07:12 PM

महोदय जी ?
वहीं मैं भी कहना चाहती हूं , थोड़ा भटकाना चाहती हूं पाठकों को यानी थोड़ा विचार कर सके खुद से कि ” फिर काल्पनिक कथाओं के पात्रो की तुलना वास्तविक जीवन में क्यो ?

प्यार तो हृदय का स्पन्दन है।
यह दो आत्माओं का पवित्र मिलन है ।
धन्यवाद !

3 Jan 2021 11:55 AM

आपका बहुत बहुत आभार !!

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