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आपकी व्यथा पूर्ण आपकी काव्य अभियक्ति से हृदय द्रवित हो गया। यह एक विडंबना कि परिवार के मान सम्मान और परम्परा के नाम पर नारी विवाह की बलिवेदी पर उसकी सहमति जाने बिना चढ़ा दिया जाता है। नारी उत्थान की खोखली बातें करने वाले खुद इस परिपाटी के समर्थक हैं। समाज मे जागृति जगाकर इनके विरुद्ध समर्थन जुटाने का प्रयत्न करने की आवश्यकता है। मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आपको विसंगतियों जूझने और आत्मविश्वास से जीवन में आगे बढ़ने का साहस प्रदान करे ।
शुभकामनाए्ँ

17 Dec 2019 09:39 AM

धन्यवाद आपका सर

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