Comments (5)
13 Dec 2019 09:34 PM
आपका त़हे दिल से श़ुक्रिया !
12 Dec 2019 08:15 PM
ज़िन्दगी हमने तुझे खुलकर जिया। कुछ गिले शिकवे कुछ रंजिश़े भुलाकर, कुछ दोस्तो के फ़रेब खाकर, कुछ मायूसिय़त मे , कुछ मसरूफ़़ियत मे, कभी तूने हमे आज़माया, कभी हमने तुझे श़िद्दत से आज़माया।
इस दौर मे हम भूल चुके क्या खोया? क्या पाया?
आपकी प्रस्तुति का धन्यवाद!
अंजनीत निज्जर
Author
12 Dec 2019 08:41 PM
Thanks, aapki lines kavita mai jor di hai Maine,Thanks once again
बहुत ही अच्छी कविता मैडम जी।
Thanks ji