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14 Dec 2019 11:35 PM

बहुत ही अच्छी कविता मैडम जी।

आपका त़हे दिल से श़ुक्रिया !

ज़िन्दगी हमने तुझे खुलकर जिया। कुछ गिले शिकवे कुछ रंजिश़े भुलाकर, कुछ दोस्तो के फ़रेब खाकर, कुछ मायूसिय़त मे , कुछ मसरूफ़़ियत मे, कभी तूने हमे आज़माया, कभी हमने तुझे श़िद्दत से आज़माया।
इस दौर मे हम भूल चुके क्या खोया? क्या पाया?
आपकी प्रस्तुति का धन्यवाद!

Thanks, aapki lines kavita mai jor di hai Maine,Thanks once again

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