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नकात्मक एवं सकारात्मक सोच एक ही तराज़ू के दो पड़ले हैं । सोच की पहल में कौन सा पड़ला भारी रहता इस पर सोच की दिशा एवं निर्णय निर्धारित रहता है। प्रेरक प्रसंग का स्वागत है।
Thanks ??
नकात्मक एवं सकारात्मक सोच एक ही तराज़ू के दो पड़ले हैं । सोच की पहल में कौन सा पड़ला भारी रहता इस पर सोच की दिशा एवं निर्णय निर्धारित रहता है।
प्रेरक प्रसंग का स्वागत है।
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