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ज़िन्दगी मे जब रिश्ते नासूर बन जाते हैं । आदमी के गैरत को दबाकर उसका जीना दुश्वार बना जाते हैं ।
आपके सोज़े ग़म का इज़हार मौजूदा हालत पर सटीक
बैठता है।
आपकी कोशिश का शुक्रिया !

हार्दिक आभार आदरणीय ??

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