Comments (6)
2 Nov 2019 12:11 AM
Nice
अंजनीत निज्जर
Author
2 Nov 2019 04:56 PM
Thanks
31 Oct 2019 06:41 PM
फर्क नज़र और नज़रिये का है ।जितना फर्क दिल और दिम़ाग का है।
अंजनीत निज्जर
Author
31 Oct 2019 08:00 PM
Exactly ??
मां का रूप किसी भी प्रतिस्पर्धा से परे है । बधाई।
कोरोना पर मेरी कविता का अवलोकन करें। धन्यवाद।
Done Sir