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घर के आंगन का वो शोर-शराबा, निज कोई आज फिर डांटने आये। रूठकर वो रातों को भूखे सो जाना, काश!कोई आज गोद मे भूख मिटाये।
सादर वंदे
घर के आंगन का वो शोर-शराबा,
निज कोई आज फिर डांटने आये।
रूठकर वो रातों को भूखे सो जाना,
काश!कोई आज गोद मे भूख मिटाये।
सादर वंदे