Comments (6)
13 Oct 2019 08:42 AM
एक स्त्री पुरुष की पीड़ा को सोचे अहसासों की इससे अच्छी अभिव्यक्ति क्या होगी ! केवल शारीरिक रूप से बलिष्ठ होना ही शोषित होने का बचाव नही होता ,मर्द को दर्द नहीं होता ,यही बता कर उसे दर्द की अभिव्यक्ति से रोका जाता है ! पर यह जरुर है उसे बगावत करने की आजादी है जो की स्त्री को नहीं है ! जो जिम्मेदारियों से मुक्त होने की बगावत कर लेता है वो इससे आजाद है
22 Sep 2019 07:09 AM
सचमुच । ऐसे कई झूठे केस पुरुषों पर लगाये गए चल रहे हैं और पुरुष पीड़ित किये जा रहे हैं । कविता में सच आकर्षित करता है ।
इंदु वर्मा
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7 Oct 2019 08:10 AM
आभार महोदय?
14 Sep 2019 07:02 PM
Ek naya angle jaroor hai fir bhi Mahilaayen jyada peedit hain
इंदु वर्मा
Author
7 Oct 2019 08:11 AM
जी सही कहा माननीय, लेकिन कम ही सही पुरुषों की पीड़ा को भी नकारा नहीं जा सकता
बहुत सुनदर कया कहना आपका धन्यवाद जी