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Comments (6)

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11 Feb 2021 10:51 AM

बहुत सुनदर कया कहना आपका धन्यवाद जी

13 Oct 2019 08:42 AM

एक स्त्री पुरुष की पीड़ा को सोचे अहसासों की इससे अच्छी अभिव्यक्ति क्या होगी ! केवल शारीरिक रूप से बलिष्ठ होना ही शोषित होने का बचाव नही होता ,मर्द को दर्द नहीं होता ,यही बता कर उसे दर्द की अभिव्यक्ति से रोका जाता है ! पर यह जरुर है उसे बगावत करने की आजादी है जो की स्त्री को नहीं है ! जो जिम्मेदारियों से मुक्त होने की बगावत कर लेता है वो इससे आजाद है

सचमुच । ऐसे कई झूठे केस पुरुषों पर लगाये गए चल रहे हैं और पुरुष पीड़ित किये जा रहे हैं । कविता में सच आकर्षित करता है ।

7 Oct 2019 08:10 AM

आभार महोदय?

14 Sep 2019 07:02 PM

Ek naya angle jaroor hai fir bhi Mahilaayen jyada peedit hain

7 Oct 2019 08:11 AM

जी सही कहा माननीय, लेकिन कम ही सही पुरुषों की पीड़ा को भी नकारा नहीं जा सकता

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