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5 Mar 2020 10:52 AM

Sahityapedia में प्रकाशित 36 रचनाओ ने दो तीन दिन में मन मोह लिया और उनको कई कई बार पड़ा भी।हर बार कुछ नया अर्थ भी महसूस हुआ।इस कड़ी में यह अन्तिम रचना है।

संवेदनशील कवि हृदय विश्व में हो रहे विनाश से शब्द हीन हो गया है।उसके समक्ष किंकर्तव्यविमूढता हैं कि कैसे इन भीषण घटनाओं को समाज के सामने प्रस्तुत करे जबकि संवेदनहीन समाज मदद नही कर रहा है बल्कि चित्र बनाने तथा विडियो बनाने में व्यस्त है।

उपरोक्त भावों को सुन्दरता से शब्दों के गुल्दस्ते मे गीत के रूप में प्रस्तुत किया है,जिस हेतु बहुत बहुत बधाई।

5 Mar 2020 02:47 PM

भौतिक विज्ञान में resonance की तरह जब रचनाकार के शब्दों की लय और पाठक के मनोमस्तिष्क मे भावों को आत्मसात करने की उत्सुकता की आवृत्ति समान हो तो ऊर्जा महत्तम हो सकती है।
संभवतः मेरी त्वरित एवं समावेशी प्रतिक्रिया का एक आधार यह भी हो सकता है ।आपने अन्यथा नही लिया,यह आपकी सदाश्यता है।

आपकी रचनाये सुधी पाठकों के लिये संजीवनी है, सदैव स्वागत रहेगा।

सादर आभार

5 Mar 2020 06:03 PM

Thankyou जी

22 Sep 2019 11:09 PM

Wow

3 Mar 2020 12:01 PM

Thankyou ji

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