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Sahi sandesh-“भूलों नहीं अहमियत रिश्तों की कभी ये वो नाज़ुक डोर हैं जों जुड़ती नहीं फिर से”
एकदम परफेक्ट कहिन
Sahi sandesh-“भूलों नहीं अहमियत रिश्तों की कभी
ये वो नाज़ुक डोर हैं जों जुड़ती नहीं फिर से”