Comments (6)
22 Sep 2019 11:11 PM
Nice rachna कुछ पूरे….
तो कुछ अधूरे ख्वाब
सब को सहेजा,
भर लिया अपनी झोली में
और मिटा ली
अपनी बरसों की थकान ।।
Seema katoch
Author
3 Mar 2020 07:23 PM
Thankyou ji
12 Apr 2019 10:45 PM
उत्तम रचना ।
Seema katoch
Author
3 Mar 2020 07:23 PM
Thankyou ji
बचपन तथा युवावस्था की स्मृति-दीर्घा में अक्सर मन खो जाता है
एक सम्यक प्रवाहपूर्ण कथ्य
सुन्दर रचना
Thankyou ji