Comments (6)
22 Sep 2019 11:19 PM
Wow
Seema katoch
Author
4 Oct 2019 09:54 PM
Thanks
एक और सुन्दर कविता ।
समाज की समस्या के प्रति पीड़ा वेदना तथा सम्वेदनाएँ ।
दस्तूरों के प्रति विद्रोह तथा यथार्थ में अकेले कर पाने में असमर्थता।
इतने सहृदय स्वभाव हेतू कवयित्री को बधाई ।
कौन कह सकता है कि विज्ञान की प्राध्यापिका हैं।
पुन पड़ने पर किसी अपने के बिछुडने या जीवन संसार छोड़ने की वेदना प्रतीत होती है
कुछ पीड़ाये सदैव के लिये होती है ,कभी नही जाती।
Ji Shi smjha