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जीवन इक संग्राम विश्राम कहाँ है
छोड़ पुरा- नवीन आ- राम कहाँ है
कहाँ – कहाँ नहीं ढूंढा तुझको राम
जीवन-संग्राम अब आराम कहाँ है ।।
मधुप बैरागी

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