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निखर रही है कविता मुखरित होता कवि है । उदित हो रहा प्राची में नव प्रभात सा रवि है ।।
जब प्रेरणा स्रोत हो आप जैसा, तब मनोभाव पर अंकुश कैसा
निखर रही है कविता
मुखरित होता कवि है ।
उदित हो रहा प्राची में
नव प्रभात सा रवि है ।।
जब प्रेरणा स्रोत हो आप जैसा,
तब मनोभाव पर अंकुश कैसा