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8 Dec 2018 10:56 PM

कल्प एक साथी है अगर,
फिर चाहत नही हज़ारों की।
जब चाँद खुद साथ हो,
फिर किसे फिकर तारों की।

वाह क्या बात है जितेंद्र जी

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