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कल्प एक साथी है अगर, फिर चाहत नही हज़ारों की। जब चाँद खुद साथ हो, फिर किसे फिकर तारों की।
वाह क्या बात है जितेंद्र जी
कल्प एक साथी है अगर,
फिर चाहत नही हज़ारों की।
जब चाँद खुद साथ हो,
फिर किसे फिकर तारों की।
वाह क्या बात है जितेंद्र जी