Sir apke vicharo ne Muje such ko pahchanna sikhya .so Mne apni poem competition se delete kr diya h. Yhi sahitya ka uddesya hota h. Jo ap kr rhe h. Maa Hindi ko Ese hi such ke sathiyo ki awskta h. Jai hind
आपके साहित्य-प्रेम को मेरा प्रणाम |
दर्द में सहभागिता के लिए मेरा सलाम |
परिचय का मोहताज न बने रचनाएँ,
यश-कामना से दूर,
आपका साहित्य-सृजन –
यूँ ही चलता रहे अविराम |
इसी जज्बे के साथ लेखिनी चलती रहे,
संवेदनाओं को लिपिबद्ध करती रहे,
भाव हो निष्काम |
Sir apke vicharo ne Muje such ko pahchanna sikhya .so Mne apni poem competition se delete kr diya h. Yhi sahitya ka uddesya hota h. Jo ap kr rhe h. Maa Hindi ko Ese hi such ke sathiyo ki awskta h. Jai hind
आपके साहित्य-प्रेम को मेरा प्रणाम |
दर्द में सहभागिता के लिए मेरा सलाम |
परिचय का मोहताज न बने रचनाएँ,
यश-कामना से दूर,
आपका साहित्य-सृजन –
यूँ ही चलता रहे अविराम |
इसी जज्बे के साथ लेखिनी चलती रहे,
संवेदनाओं को लिपिबद्ध करती रहे,
भाव हो निष्काम |
मेरी शुभेच्छाएँ स्वीकार करें,
– हरिकिशन मूंधड़ा
कूचबिहार