Comments (10)
25 Nov 2018 03:02 PM
bahut sundar rachna .badhai
25 Nov 2018 02:34 PM
कृपया मेरी कविता मां भी पढ़ें और प्रतिक्रिया दें धन्यवाद जी
25 Nov 2018 02:33 PM
बहुत अच्छा लिखा है
25 Nov 2018 12:30 PM
सुंदर कविता के लिये बधाई…मेरी रचना को भी देखे और वोट जरूर करें सादर नमन
25 Nov 2018 12:10 PM
बहुत सुंदर
25 Nov 2018 11:38 AM
आप भी इस प्रतियोगिता में शामिल होईए और कृपया आप मेरी कविता पर अपना वोट करिएगा ।
आदरणीय आपकी रचना सराहनीय है कृपया आप हमें वोट करने की कृपा कीजिए रचनाकार नहीं कोई भी रचना बड़ी होती है और माॅ से जैसे विषय पर लिखी रचना को आपका प्रोत्साहन मिलना जरूरी है विनम्र निवेदन कृपया अपने वोट का आशीर्वाद प्रदान करें। आशा है आपका वोट अवश्य प्राप्त होगा धन्यवाद आदरणीय बस तेरा ही जयकारा है
आदरणीय हरिकिशन जी आपके बहुमूल्य विचारों से अवगत हुए। धन्यवाद। आपकी बातों से लगा कि आप हम जैसे नवोदित लेखकों के लिए बेहतर मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। इसलिए आप हमारी कविता को अवश्य ही पढ़िये और यदि कोई सुझाव/सुधार हों तो अवश्य ही सूचित कीजिए। वोट या लाइक करने का आशय ये कदापि नहीं है कि आप उचित सलाह भी न दें। हम बिल्कुल भी बुरा नहीं मानेंगे यदि कविता पर आपकी टिप्पणी प्राप्त होगी तो हमें प्रसन्नता होगी और सीखने को भी मिलेगा। पुनः धन्यवाद
माँ कविता नहीं, महाकाब्य है |
प्रकृति-पुरुष को समझने के लिए –
माँ शब्द ही प्रयाप्त है |
जो ब्रह्मा-विष्णु-रूद्र को झुलाए,
अष्टादश पुराण भी –
जिसकी व्याख्या न कर पाए,
उस पर यह अकिंचन कुछ कह पाए,
कैसे संभव है |
आपके साहित्य-प्रेम को मेरा प्रणाम |
दर्द में सहभागिता के लिए मेरा सलाम |
परिचय का मोहताज न बने रचनाएँ,
यश-कामना से दूर,
आपका साहित्य-सृजन –
यूँ ही चलता रहे अविराम |
इसी जज्बे के साथ लेखिनी चलती रहे,
संवेदनाओं को लिपिबद्ध करती रहे,
भाव हो निष्काम |
मेरी शुभेच्छाएँ स्वीकार करें,
– हरिकिशन मूंधड़ा
कूचबिहार