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20 Nov 2018 11:50 AM
दुर्दिन मरुथल गहराया
तन – तपन पथिक ने पाया
हर्षित पुलकित हिय- तरु का
दे जग को शीतल छाया
आदरणीय आपकी रचना सराहनीय है कृपया आप हमें वोट करने की कृपा कीजिए रचनाकार नहीं कोई भी रचना बड़ी होती है और माॅ से जैसे विषय पर लिखी रचना को आपका प्रोत्साहन मिलना जरूरी है विनम्र निवेदन कृपया अपने वोट का आशीर्वाद प्रदान करें। आशा है आपका वोट अवश्य प्राप्त होगा धन्यवाद आदरणीय ‘‘बस तेरा ही जयकारा है’’
सुंदर रचना है, मेरी कविता ईश्वर भी पढ़ें ?