Comments (5)
12 Nov 2018 09:38 AM
प्रासंगिक, मर्मस्पर्शी और मिट्टी से जुडी रचना के लिए आपके बहुत बहुत बधाई. मेरी रचना, ” हे मां , तुम्हें नमन है” पर अपनी प्रतिक्रिया दें . अगर अच्छी लगे तो मत अवस्य करें.
Priya Maithil
Author
18 Dec 2018 12:50 PM
शुक्रिया जी
11 Nov 2018 10:12 PM
Vah Kya khub likha apne. Ek suchha kavi hi kisan ki dhadkano ko itni gahrai se dekh skta h. Apko meri subhkamnae
Priya Maithil
Author
18 Dec 2018 12:50 PM
शुक्रिया नीलम जी
man ko chhoo gain ए आसमा ..ए जमीन
..ए खेत के हल मेरे
बिलखते हुए छोड़ तुझे खुद तरने जा रहा हूं।।
सुन स को तो तुम्हीं सुनो ए देशभक्तों…
तुम्हारे देश का किसान हूं…
आत्महत्या करने जा रहा हूं।।
मै मरने जा रहा हूं….!!!