Sir vote no 40is mine.sir pls read my poem.vote me.
I voted please vote me
Very nice
बहुत ही सुन्दर रचना है आदरणीय 38 वां वोट स्वीकार करें और मेरी कविता “वो है मेरी माँ” पढ़ कर वोट देकर कृतार्थ करें जी कृपया जवाब अवश्य दें । ???
सुंदर रचना जी 37 वां वोट मेरी तरफ से आपको और हो सके तो मेरी रचना पर भी अपना मत देकर कृतार्थ करें
जी जरूर समर्थन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
हमारी रचना पर वोट दे आदरणीय।
मेरा वोट स्वीकार करे और आप भी मुझे अपना कीमती वोट देकर कृतार्थ करे
जी जरूर समर्थन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
35 वा वोट आपको कर दिया है आप भी हमें वोट करके हमें अपना आशीर्वाद प्रदान करे
जी जरूर समर्थन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
mane bhi aapko vote kare deya hai aap bhi mujhe vote kare
जी जरूर समर्थन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
32 vote Ashok kumar Dhoria ki TRF se h kyoki mere phone se nhi Dal rhi thi aap BHI sochna
जी जरूर समर्थन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
आपकी रचना बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण है । एक नजर हमारी रचना पर भी डाले और अच्छा लगे तो आपका एक बहुमूल्य वोट देकर हमे कृतार्थ करें । । धन्यवाद ।
जी जरूर समर्थन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुंदर वोट दें दिया है
धन्यवाद समर्थनके लिये।
भावपूर्ण, उत्कृष्ट अभिव्यक्ति?? बहुत सुंदर! वोट 30# स्वीकार करें ??? और मेरी कविता पढ़ कर, ?? वोट देने योग्य हो तो वोट देकर कृतार्थ करें। ??
धन्यवाद।
29
बहुत सुंदर कविता… मेरी भी कविता पढ़ने के आप सादर आमंत्रित हैं। हमारी कविता पसंद आये तो एक वोट देकर हमें कृतार्थ करें।
Goodmrng jii…28th vote kiya aapko…aap mujhe bhi plz vote kare.
समर्थन के लिये धन्यवाद।
बहुत ही सुन्दर रचना वोट दिया
धन्यवाद।
बहुत सुंदर रचना सर जी
वोट स्वीकार करें हमारा
अपना अमूल्य वोट प्रदान कर हमें भी कृतार्थ करें।
आप मुझे भी वोट करियेगा । मैंने कर दिया है आपको ।
जी जरुर। धन्यवाद।
मां पर अत्यंत अच्छी कविता है मेरा मत स्वीकार्य करे और मेरी भी कविता पढ़े अगर कविता अच्छी लगे तो अपना बहुमूल्य वोट देकर कृत्याग करे
जी जरूर। धन्यवाद।
जयंती प्रसाद जी, आपकी रचनाओं को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है,कोरोना से लेकर माँ तक हर रचना में,निश्छलता का पुट है!कविताएँ अपने मन के उदगार प्रकट करने का एक माध्यम है!वह किसी की प्रशंसा के लिए तो नही जाती किन्तु यदि वह लोगों को भा जाए तो उसे स्वीकार किया ही जाता है,लेकिन यदि वह किसी को किसी प्रकार से आहत करती है, तो आहत हुए व्यक्ति उसका उपहास भी करने लगते हैं,रचना कार को इन सब से मुक्त हो कर अपना.रचना धर्म का निर्वाह करते रहना चाहिए। आपको तो सभी की ओर से प्रशंसा ही प्राप्त हुई है, आपको बधाई!