अंजनीत निज्जर
Author
12 Dec 2019 08:41 PM
Thanks, aapki lines kavita mai jor di hai Maine,Thanks once again
ज़िन्दगी हमने तुझे खुलकर जिया। कुछ गिले शिकवे कुछ रंजिश़े भुलाकर, कुछ दोस्तो के फ़रेब खाकर, कुछ मायूसिय़त मे , कुछ मसरूफ़़ियत मे, कभी तूने हमे आज़माया, कभी हमने तुझे श़िद्दत से आज़माया।
इस दौर मे हम भूल चुके क्या खोया? क्या पाया?
आपकी प्रस्तुति का धन्यवाद!