शब्द तो गुनगुनाते है वो चाहे होंटो पे हसी हो, या फिर उनपे दर्द समंदर लेकिन शब्द तो आखिर गुनगुनाते है। बहुत ही सुंदर रचना सादर चारणस्पर्श
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शब्द तो गुनगुनाते है
वो चाहे होंटो पे हसी हो,
या फिर उनपे दर्द समंदर
लेकिन शब्द तो आखिर गुनगुनाते है।
बहुत ही सुंदर रचना
सादर चारणस्पर्श