अरविन्द राजपूत 'कल्प'
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13 Dec 2018 08:07 AM
वाह क्या बात है जितेंद्र जी
कल्प एक साथी है अगर,
फिर चाहत नही हज़ारों की।
जब चाँद खुद साथ हो,
फिर किसे फिकर तारों की।