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19 Jul 2016 12:53 AM

सिखाया था जहाँ चलना पकड़कर उँगलियाँ मेरी
निकलती हूँ वहाँ से जब रुलाती वो गली पापा ….. मार्मिक रचना …. बधाई सम्मानित अर्चना जी .

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23 Jul 2016 06:45 PM

हार्दिक आभार आपका

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