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आपका वोट नहीं मिला आदरणीय

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पुनः जाँच करें आदरणीय????
?
अंत और आगाज वही है।
कण कण मे वह बसी हुयी है।
वेदपुराणों ने यश गाया।
ऋषि मुनियों ने इसको ध्याया ।

शब्द नहीं वाणी में मेरी।
कैसे माँ महिमा गान करूँ ?
है सम्पूर्ण शब्द माँ जग में।
व्यापी वह सम्पूर्ण जगत में।

(रागिनी गर्ग रामपुर यूपी )

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Competition Name: साहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता- “माँ”

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