आपके साहित्य-प्रेम को मेरा प्रणाम | दर्द में सहभागिता के लिए मेरा सलाम | परिचय का मोहताज न बने रचनाएँ, यश-कामना से दूर, आपका साहित्य-सृजन – यूँ ही चलता रहे अविराम | इसी जज्बे के साथ लेखिनी चलती रहे, संवेदनाओं को लिपिबद्ध करती रहे, भाव हो निष्काम |
मेरी शुभेच्छाएँ स्वीकार करें,
– हरिकिशन मूंधड़ा कूचबिहार
आपके साहित्य-प्रेम को मेरा प्रणाम |
दर्द में सहभागिता के लिए मेरा सलाम |
परिचय का मोहताज न बने रचनाएँ,
यश-कामना से दूर,
आपका साहित्य-सृजन –
यूँ ही चलता रहे अविराम |
इसी जज्बे के साथ लेखिनी चलती रहे,
संवेदनाओं को लिपिबद्ध करती रहे,
भाव हो निष्काम |
मेरी शुभेच्छाएँ स्वीकार करें,
– हरिकिशन मूंधड़ा
कूचबिहार