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विनम्रता पूर्वक ससम्मान निवेदन कर रहा बात कड़वी है इसलिए पूर्व ही छमा माग लेता हूँ, वो साहित्य का पुजारी कभी नही हो सकता जो सत्यता यथार्थ से विमुख हो अथवा नजरअंदाज कर के चला जाए, बात कड़वी लग सकती है किंतु सत्यता का दावा करता हूँ, साबित कर सकता हूँ l

बात यह है कि यदि रचनाकार की रचना पर वोटिंग कराना और निष्पक्ष समान अधिकार व्यवहार को स्थान देना चाहते है और चाहते है प्रतियोगिता इस आधार पर संम्पन्न हो तो रचनाओं को बिना रचनाकार के नाम के अर्थात कोड नाम दे कर प्रकाशित करें, संशय नाम में नही संशय अज्ञानपूर्ण ओछे उस व्यवहार पर है कि जब कुमार शानू जैसे कलाकार सार्वजनिक स्थल पर सड़क के किनारे एक मजलूम का भेष धर कर गाते है तो उन्हें 13 रूपये या 12 रूपये का पुरष्कार मिलता है,आप ने यहाँ अधिकतम कीमत 500₹ और न्यूनतम खरीद मूल्य 200₹ रखी है और इन साहित्यकारों ने वर्षो से इस वेबसाइट पर शर्म दान किया है , इसके लिए मेरी कलम सदैव ऋणी रहेगी l

वही गायक कुमार शानू है जिनकी कैसेट 3D के साथ हाईटेक शोरूम में रिलीज होती है तो 13 हजार करोण की विक्री में 13 दिन भी नही लगते स्पस्ट है कला की सराहना नही कला का व्यापार हुआ है ,

“मैं न तो व्यापारी हूँ
और न ही मेरी रचना,
500 वोटिंग या 500
नोटिंग की मोहताज है,
बात सिर्फ यह कि कवि हूँ
और मुझे साहित्य से प्यार है l”

क्योंकि यह सराहना रोज शोशल मीडिया पर दिखती है
……. मैं कैसी दिखती हूँ …..

? ✍
1000000 150000

यदि यह निवेदन स्वीकार किया जाय तो सर्वजिनिक ऐलान करता हूँ लेखनी का उत्तर नही है l

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