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शहादत कभी बेकार नहीं जाती ।
अमर शहीदों को याद रखना न केवल हमारा कर्तव्य मात्र है बल्कि सच्चे अर्थों में कविता वही है जिसमें शहीदों को याद किया जाए या प्रभु का गुणगान किया जाए ।
वाह क्या बात है ? बंधुवर ।
सुंदर सृजन के लिए आपको साधुवाद और आशीर्वाद ।
आपका बड़ा भाई
ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

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